या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै… मंत्र की ध्वनि से धरती गूंज उठी धरा

चतरा (गणादेश ) : ढाक बजा पट खूला और जगत जननी महामाया प्रकट हुई। दिव्य रूप, आलौकिक छवि, अनुपम छटा सहस्त्र सूर्य की आभा, चंद्र वदन, अरुण अधर, धूम्र विलोचन नयना, मेघा क्षण्य कैस, रक्त पुष्प की माला, नख सिख श्रृंगारित, उन्मत सिंह पर सवार आलोकित प्रदीप्त माता जगत जननी को देख भक्त अह्लादित हो उठे। पूजा पंडाल माता के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। शंख व घंट को ध्वनि से वातावरण प्रतिध्वनित हो उठी। पुजारियों ने मंत्रोच्चार किया। भक्तों ने पुष्प वर्षा की। सर्वत्र भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। चहुंओर आस्था का सैलाब प्रवाहित हो उठा। सड़कों से लेकर पूजा पंडालों तक भारी भीड़, कहीं तिल रखने की जगह नहीं। भीड़ स्वतः नियंत्रित, स्वतः अनुशासित, सभी के हाथ जुड़े हुए, सभी के शीश माता के चरणों में झुके हुए। सभी की चाहत माता की इस नयनाभिराम छवि को निहारने की। सभी की इच्छा माता को आंखों में बसा लेने की। क्या अमीर, क्या गरीब, क्या छोटा क्या बड़ा, आज सभी है याचक, सभी हैं भिक्षुक सभी माता के सामने नतमस्तक, मांग लो जो चाहो आज माता स्वयं धरा पर पधारी हैं। सभी की पीड़ा हरने, जगत का कल्याण करने, मिट गई दूरियां, खत्म हो गए भेदभाव, माता के समक्ष सभी एक, सब बराबर सभी को उनसे कृपा की आवश्यकता, सभी को उनसे दया की कामना, पूजा की थाल लिए महिलाएं भक्ति की अतिरेक में झूमते पुरुष, माता को अपलक निहारते बच्चे, मंत्रों का अनवरत जाप करते साधक, मंत्रोच्चारण करते पुजारी, गांव से लेकर शहर तक माता की आराधना में डूबे लोग। इधर सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है। सभी पूजा पंडालों के आसपास सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिले सिद्ध पीठों में भी पूजा को लेकर उल्लास का माहौल है। चंहू और जय माता दी…के जयकारे से वातावरण भक्ति की रस में अविरल धारा में अग्रसर हो रही है। पूजा पंडालों में भीड़ माता के जगराता को बुलंद कर रही है। जिला मुख्यालय से लेकर जिले के सभी प्रखंडों में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। शहर से लेकर गांव तक केवल और केवल माता के ही भक्ति हो रही है। इस बार दुर्गा पूजा को लेकर जिले भर में कई भव्य आयोजन चल रहे हैं। गुरुवार को नव पत्रिका प्रवेश के बाद माता दुर्गा एवं अन्य प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। तत्पश्चात पूजा पंडालों का उद्घाटन हुआ। इसके बाद पूजा पंडाल श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। शुक्रवार को श्री दुगा अष्टमी का व्रत और महानवमी एक साथ होगा। इस दिन मां को संधिबलि पूजा से पहले भोग नहीं लगेगा। शुक्रवार को सुबह में 6 बज कर 52 मिनट और 1 सेकंड पर संधिबलि की जाएगी। संधिबलि पूजा के बाद मां को विशेष भोग लगाया जायेगा। अष्टमी पूजा पर जिले के पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की खाफी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में पूजा समितियों की ओर से व्यापक तैयारियां की गई है।

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