झारखंड के 55 हजार से अधिक पुलिसकर्मी आंदोलन में कूदे, काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे
रांची : राज्यभर के 55 हजार से अधिक सिपाही और हवलदार आंदोलन में कूद गए हैं। बुधवार को वे काला बिल्ला लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं। आंदोलन के द्वितीय चरण में 21 मार्च को सभी जिला-वाहिनी, पोस्ट व पिकेट का मेस बंद रहेगा। सभी जवान एक दिन के सामूहिक उपवास पर रहेंगे। इसपर भी सरकार ने कोई पहल नहीं की तो आंदोलन के तृतीय चरण में 31 मार्च को एसोसिएशन के पदाधिकारी-सदस्य अपने-अपने जिला, वाहिनी मुख्यालय में एक दिवसीय धरना देंगे और वहां के विभागाध्यक्ष को अपनी मांग पत्र सौंपगे। इसके बाद भी इनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो आंदोलन के चौथे चरण में पांच दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने बताया कि एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने के लिए कई बार समय मांगा, लेकिन असफलता हाथ लगी।
ऐसी है आंदोलन की रूप रेखा
प्रथम चरण का आंदोलन 9 मार्च से लेकर 11 मार्च तक चलेगा. इनमें पुलिसकर्मी काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. द्वितीय चरण के आंदोलन में 21 मार्च को एक दिन का सामूहिक उपवास रहेगा. 31 मार्च को एक दिन का शांतिपूर्ण धरना और मांगों का ज्ञापन सौंपा जायेगा. 14 अप्रैल से 5 दिनों के सामूहिक अवकाश पर रहेंगे ।
क्या है सिपाही-हवलदारों की मांगें
20 दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश पहले की तरह बहाल करें। पुलिसकर्मियों को मिलने वाले एक माह के अतिरिक्त वेतन में त्रुटि का निदान करें।
एसीपी-एमएसीपी से संबंधित आदेश में त्रुटि का निराकरण करें।
सातवें वेतन के अनुरूप वर्दी, राशन, धुलाई, विशेष कर्तव्य, आरमोरर, चालक, दुह, राइफल, तकनीकी, शिक्षण व प्रशिक्षण भत्ते लागू हों।
जवानों को बेहतर इलाज के लिए मेडिक्लेम की व्यवस्था या प्रतिपूर्ति की जटिल प्रक्रिया को समाप्त किया जाय।
राज्य में तनाव के कारण आए दिन जवान आत्महत्या कर रहे हैं, इसे रोकने के लिए सार्थक पहल किया जाय।
उग्रवादी अभियान में लगे जवानों की सुविधा बढ़े, मनोबल बढ़ाया जाय।
नए वाहिनी एवं राज्य के कई जिलों में पुलिसकर्मियों का कार्यालय, पारिवारिक आवास भवन व बैरक का निर्माण किया जाय।
वर्ष 2004 के बाद बहाल जवानों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाय।
शिकायत काेषांग, स्थानांतरण समिति, अनुकंपा समिति में पुलिस मेंस एसोसिएशन को सदस्य रखा जाय।
मुसहरी कमेटी के अनुरूप जवानों को आठ घंटे की ड्यूटी व साप्ताहिक अवकाश प्रदान की जाय।
केंद्र के अनुरूप झारखंड पुलिस के जवानों के भी दो बच्चे-बच्चियों की पूरी शिक्षा का खर्च दिलाया जाय।
राज्य के उन्नति में बलिदान देने वाले झारखंड पुलिस के जवानों के आश्रितों को भू-खंड देने के लिए नीति बनाएं व उनके जीविकोपार्जन के लिए गैस एजेंसी-पेट्रोल पंप की पात्रता की अनुशंसा की जाय।
कानून व्यवस्था स्थापित करने में अपनी जान गंवाने वाले सिपाही-हवलदार को शहीद का दर्जा देते हुए राजकीय स्तर पर पुलिसकर्मी के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि के स्थान पर बंदूक से सलामी दी जाए।