नवग्रहों के प्रसन्न करने के सरल और अचूक उपाय

हिंदू सनातन संस्कृति में सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को देवी-देवताओं की संज्ञा दी गई है। चाहे वे ग्रह नक्षत्रों के अलावा जल, वायु, अग्नि, धरती, आकाश, पर्यावरण, वृक्ष-पौधे, जीवन-जंतु सभी को देवों का अंश कहा गया है। प्रकृति और वृक्षों को तो हमारी पूजा पद्धति में भी प्रमुख स्थान दिया गया है।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा वृक्षों और मैं पीपल हूं !

भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में स्वयं कहा है, वृक्षों में मैं पीपल हूं। यही कारण है कि कुछ अत्यंत पूजनीय वृक्षों में पीपल का स्थान सर्वोच्च है। पीपल की पूजा न सिर्फ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, बल्कि ग्रह-नक्षत्रों के दोषों को शांत करने के लिए भी की जाती है। ग्रहजनित पीड़ाओं को दूर करने में पीपल के समान कोई अन्य वृक्ष नहीं। यह समस्त दशाओं को अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है।

सूर्य पीड़ा:—

कुंडली में सूर्य की खराब स्थिति होने पर व्यक्ति के मान-सम्मान में की रहती है। नौकरी, व्यापार में उन्नति बाधित होती है।
कुंडली में यदि सूर्य पीड़ा दे रहा हो, पाप ग्रहों से युक्त हो, या जन्म नक्षत्र का स्वामी हो तो रविवार को पीपल वृक्ष की 11 परिक्रमा करें और 11 लाल पुष्प चढ़ाएं।
तांबे के कलश में शुद्ध पानी और कच्चा दूध मिलाकर रविवार को पीपल की जड़ में अर्पित करें, सूर्यजनित पीड़ाओं में शांति मिलती है।
इन उपाय से व्यक्ति के जीवन में तरक्की होने लगती है। रोगों से छुटकारा मिलता है।

चंद्र पीड़ा:—-

कुंडली में यदि चंद्र दूषित है या जन्म नक्षत्र का स्वामी है तो व्यक्ति हमेशा जुकाम, सर्दी से पीडि़त रहता है। स़्ित्रयों से कष्ट होता है। माता की चिंता रहती है और व्यक्ति भावनात्मक, मानसिक रूप से परेशान रहता है।
इन समस्याओं के निदान के लिए सोमवार या जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हुए सफेद पुष्प अर्पित करें।
पीपल की सूखी टनियों को नहाने के जल में थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। उसी जल से स्नान करें।
पीपल के पेड़ के नीचे प्रति सोमवार को कपूर मिलाकर घी का दीपक लगाएं।

मंगल पीड़ा:—

कुंडली में मंगल खराब है तो दुर्घटना का भय बना रहता है, शत्रु परेशान करते हैं, आत्मविश्वास की कमी रहती है और खून की कमी, त्वचा रोग आदि होते हैं।
इनसे बचने के लिए मंगलवार या जन्म नक्षत्र वाले दिन एक तांबे के कलश में जल लेकर पीपल की जड़ में अर्पित करें।
मंगलवार को पीपल की आठ परिक्रमा कर लाल पुष्प चढ़ाएं।
जन्म नक्षत्र वाले दिन किसी सड़क के किनारे पीपल वृक्ष लगाएं। प्रत्येक मंगलवार पीपल के नीचे अलसी के तेल का दीपक लगाएं।

बुध पीड़ा:—

बुध के खराब होने की स्थिति में व्यक्ति मानसिक अस्थिरता महसूस करता है। अनजाना भय लगा रहता है। व्यापार में गलत निर्णय ले बैठता है। धन हानि होती है।
बुध जनित परेशानियों से मुक्ति के लिए बुधवार के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर स्नान करें। नहाने के पानी में पीपल के पत्ते डालें।
बुधवार को पीपल की परिक्रमा कर उसके नीचे चमेली के तेल का दीपक लगाएं।
चमेली के इत्र बुधवार को पीपल वृक्ष के तने पर छिड़कें।

बृहस्पति पीड़ा:–

कुंडली में बृहस्पति बुरे प्रभाव दे रहा है तो लिवर, पाचन तंत्र संबंधी परेशानी आती है। विवाह एवं सतान प्राप्ति में बाधा आती है। धन की कमी बनी रहती है।
गुरुवार के लिए शुद्ध जल में हल्दी मिलाकर पीपल में अर्पित करें।
पीपल के पत्ते डालकर स्नान करें और गुरुवार को अखंडित पीपल का पत्ता लाकर उस पर हल्दी से श्रीं लिखें और तिजोरी में रखें।
गुरुवार को गाय के घी में केसर डालकर पीपल के नीचे दीया लगाएं।

शुक्र पीड़ा:—

शुक्र कमजोर होने पर व्यक्ति का वैवाहिक, दांपत्य जीवन संकटग्रस्त रहता है। नेत्र या गुप्तरोग होते हैं। आकर्षण प्रभाव क्षीण हो जाता है। भौतिक सुखों से वंचित रहता है।
शुक्रवार को जल में दही मिलाकर पीपल के नीचे बैठकर स्नान करें।
शुक्रवार को पीपल की परिक्रमा कर कपूर का दीपक लगाएं।
शुक्रवार को पीपल के तने पर इत्र छिड़कें।

शनि पीड़ा:—-

कुंडली में खराब शनि होने पर व्यक्ति के शत्रु नुकसान पहुंचाते है। आर्थिक हानि होती है। वाहन दुर्घटना, सामाजिक मान की हानि होती है।
शनिवार को पीपल पर सरसों का तेल चढ़ाएं। सरसों का दीपक लगाएं।
शनिवार या अपने जन्म नक्षत्र के दिन पीपल की 108 परिक्रमा कर उसके नीचे कुछ देर आंखें बंद करके शांतचित्त होकर बैठें।
शनिवार के दिन पीपल की जड़ में सरसों के तेल में भीगा काला कपड़ा बांधें।

राहु पीड़ा:–

राहु दूषित होने पर व्यक्ति के जीवन अचानक उतार-चढ़ाव आते हैं। उसे सहयोगियों, अपनों, मित्रों से धोखा मिलता है।
पीपल की परिक्रमा करते हुए ओम नमः शिवाय का जाप करें।
पीपल के नीचे की मिट्टी लेकर उसमें गौमूत्र, गंगाजल मिलाकर शिवलिंग बनाएं। पीपल के नीचे ही उसका अभिषेक करें और बहते जल में प्रवाहित करें।
शनिवार के दिन पीपल में लाकर पुष्प अर्पित करें। किसी भूखे को मीठा भोजन कराएं।

केतु पीड़ा:—

केतु खराब होने पर संतानसुख में कमी आती है। अचानक बड़ी धनहानि होती है। चेहरे का तेज खो जाता है।
शनिवार को पीपल में इमरती या मोतीचूर का लड्डू चढ़ाएं।
गंगाजल मिश्रित जल शनिवार को पीपल में चढ़ाएं।
जन्म नक्षत्र वाले दिन या शनिवार को ओम केतवे नमः की एक माला जाप करते हुए पीपल की परिक्रमा ।

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